इंद्रायणी काठी, देवाची आळंदी लागली समाधी, ज्ञानेशाची ज्ञानियाचा राजा भोगतो राणीव नाचती वैष्णव, मागेपुढे मागेपुढे दाटे ज्ञानाचा उजेड अंगणात झाड कैवल्याचे उजेडी राहिले उजेड होऊन निवृत्ती, सोपान, मुक्ताबाई
| गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
| संगीत | - | पु. ल. देशपांडे |
| स्वर | - | पं. भीमसेन जोशी |
| चित्रपट | - | गुळाचा गणपति |
| राग | - | भीमपलास |

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