हनुमान अष्टमी : -
( बजरंगबलीचा विजय उत्सव )
पौष महिन्यातील कृष्ण अष्टमीला " हनुमान अष्टमी " म्हणतात. यंदा ही अष्टमी २९ डिसेंबरला आहे. या अष्टमीबाबत आपल्याकडे विशेष माहिती नाही . एका हिंदी संकेतस्थळावर याबद्दल माहिती मिळाली जी नवीन वाटली म्हणून ती इथे आहे तशी देत आहे
हनुमान अष्टमी का यह पर्व विजय उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। जो भक्त इस खास मौक पर हनुमान जी का दर्शन और उनकी पूजा आराधना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में हनुमान अष्टमी को हनुमानजी का विजय उत्सव मानने के पीछे प्रसंग है। जिसके अनुसार भगवान राम और रावण के बीच युद्ध के समय जब अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को कैद करके पाताल लोक में ले जाकर दोनों की बलि देना चाहता था, तब भगवान हनुमान ने उसे युद्ध में हरा कर और उसका वध कर भगवान को छु़ड़ाया था। युद्ध के दौरान ज्यादा थक जाने के कारण हनुमानजी पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका में आराम किया था। हनुमान जी बल के कारण भगवान राम प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया की पौष कृष्ण की अष्टमी को जो भी भक्त पूजा करेगा उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। ऐसी मान्यता है तभी से इस दिन विजय उत्सव का पर्व मनाया जाता है । हनुमान अष्टमी के दिन हनुमान मंदिर जा कर हनुमानजी के दर्शन करना चाहिए और इस दिन हनुमान जी के 12 नामों का जप करना चाहिए ऐसा करने से 12 नामों का जप करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।
दुस-या एका संकेतस्थळावर अशी माहिती दिली आहे
शनि ग्रह से पीड़ित जातकों को हनुमान आराधना करना चाहिए। बाधा मुक्ति के लिए श्रद्घालु हनुमान यंत्र स्थापना के साथ बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इससे निश्चित ही हनुमानजी प्रसन्न होते है।
बजरंग बाण खालील👇🏻
http://kelkaramol.blogspot.com/2013/02/blog-post_2.html?m=1
लिंकवर वाचावयास मिळेल .
यात एके ठिकाणे असं ही म्हणलं आहे की
' हनुमान अष्टमी ' ही पूर्वी फक्त उज्जैन मध्ये साजरी व्हायची , आता ती अनेक ठिकाणी साजरी होते .
हनुमानाची १२ नावे असलेली हनुमान स्तुती इथे देत आहे
हनुमान द्वादशनाम स्तुति
हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
खालील मंत्र ही म्हणावयास हरकत नाही
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
साडेसातीत हनुमान उपासना सांगितली असल्याने येत्या २९ तारखेला " हनुमान अष्टमीच्या" निमित्याने अवश्य हनुमानाची आराधना करावी असे सांगावेसे वाटते म्हणून हे लेखन .
वरील माहिती विविध संकेतस्थळावरून संग्रहित
धर्म जागरण आणि धर्मजागृती ह्यातच माझे सौख्य सामावले आहे