December 4, 2011

मन का मानव !

कुछ भी नही असंभव जगमे,
सब संभव हो सकता है
कार्य हेतु यदि कमर बांधलो
तो सब कुछ हो सकता है !
बंधन - बंधन क्या करते हो ,
बंधन मन के बंधन है
साहस करो उठो झटका दो,
बंधन क्षण के बंधन है
मन के हारे हार हुई है
मन के जीते जीत सदा
सावधान मन हार न जाये
मन से मानव बना सदा
यह भी अच्छा वह भी अच्छा,
अच्छा-अच्छा सब मिल जायें
हर मानव की यही तमन्ना
कींतु प्राप्ति का मर्म न पाये
अच्छा पाना है तो पहेले,
खुदको अच्छा क्यो न बनालें
जो जैसा हैं उसको वैसा,
मिलता यह निज मंत्र बना ले

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गणेश पुराण


उपासना खंड अध्याय
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क्रिडाखंड अध्या 1

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