देव माझा विठू सावळा
माळ त्याची माझिया गळा विठू राहे पंढरपुरी, वैकुंठच हे भूवरी भीमेच्या काठी डुले भक्तीचा मळा साजिरे रूप सुंदर, कटी झळके पीतांबर कंठात तुळशीचे हार, कस्तुरी टिळा भजनात विठू डोलतो, कीर्तनी विठू नाचतो रंगून जाई भक्तांचा पाहुनी लळा
| गीत | - | सुधांशु | 
| संगीत | - | दशरथ पुजारी | 
| स्वर | - | सुमन कल्याणपूर | 
| राग | - | भूपाल तोडी | 

 
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