अवघे गर्जे पंढरपूर चालला नामाचा गजर टाळघोष कानी येती ध्यानी विठ्ठलाची मूर्ती पांडुरंगी नाहले हो चंद्रभागा नीर इडापिडा टळुनि जाती देहाला या लाभे मुक्ती नामरंगी रंगले हो संतांचे माहेर देव दिसे ठाई ठाई भक्त लीन भक्तापाई सुखालागी आला या हो आनंदाचा पूर
गीत | - | अशोकजी परांजपे |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | प्रकाश घांग्रेकर |
नाटक | - | गोरा कुंभार |
राग | - | आसावरी , जौनपुरी |
No comments:
Post a Comment